दिसंबर से फरवरी के बीच भी कम ही रहेगी सर्दी, मौसम विभाग ने जारी की अगले तीन महीनों की भविष्यवाणी

नवंबर बिना सर्दी के ही निकल गया। दिसंबर से फरवरी के बीच भी सर्दी कम ही रहेगी। मौसम विभाग ने सर्दी को लेकर अगले तीन महीनों की भविष्यवाणी जारी की है। इसमें कहा गया है कि सर्दियों का यह सीजन सामान्य से आधा डिग्री ज्यादा गर्म रहेगा। मौसम विभाग के महानिदेशक एम. महापात्र ने कहा कि दक्षिणी हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री तक ज्यादा रहने की संभावना है जबकि देश के करीब-करीब सभी हिस्सों में सर्दियों में तापमान आधा डिग्री ज्यादा रहेगा। उत्तर भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एवं दिल्ली में शीत लहर का प्रकोप कम रहेगा। विभाग ने कहा कि शीत लहर जोन में न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है। महापात्र ने कहा कि यह संकेत मिले हैं कि सर्द दिनों और शीत लहर चलने की घटनाओं में कमी आएगी।
कोहरा और धुंध छाने की संभावना ज्यादा
मौसम विभाग ने अपनी भविष्यवाणी में यह भी कहा कि देश में अधिकतम तापमान भी सामान्य से कम रहने की संभावना है। इससे सर्दियों में कोहरा और धुंध छाने की संभावना ज्यादा है। पिछले कुछ सालों से मौसम विभाग लगातार सर्दियों को लेकर भी भविष्यवाणी जारी कर रहा है। लगातार ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि सर्दियों में कड़ाके की ठंड में कमी आ रही है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव मौसम पर पड़े रहे हैं। लगातार गर्मी बढ़ रही है जबकि सर्दियों में ठंड घट रही है।
तापमान वृद्धि की मार फसलों पर भी
तापमान में वृद्धि की मार फसलों पर भी पड़ रही है। इसका असर अगले 10 वर्ष के दौरान देखने को मिलेगा। इससे गेहूं की पैदावार में छह से 25 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। जबकि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ने पर भी काबुली चना की पैदावार में 23 से 54 प्रतिशत तक वृद्धि का अनुमान है। कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि तापमान में वृद्धि के कारण फसलों के उत्पादन में दो से तीन प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है। वर्ष 2050 तक धान की पैदावार में सात प्रतिशत और वर्ष 2080 तक इसके उत्पादन में 10 प्रतिशत की कमी का अनुमान है। इस सदी के अंत तक गेहूं की पैदावार में छह से 25 प्रतिशत की कमी का आकलन किया गया है।
वर्ष 2050 से 2080 के दौरान जलवायु परिवर्तन के कारण खरीफ-मक्का की पैदावार में 18 से 23 प्रतिशत की कमी होने की आशंका है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि होने के बावजूद वर्ष 2050 तक खरीफ मूंगफली के उत्पादन में चार से सात प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है जबकि वर्ष 2080 तक इसकी पैदावार में पांच प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है। काबुली चना की उत्पादकता में औसत वृद्ध 23 से 54 प्रतिशत होने की उम्मीद है।

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