हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों के अलावा अब मैदानी क्षेत्र भी सेब की खुशबू से महकेंगे, वैज्ञानिको ने किया सफल प्रयोग
लोकमत उदय ब्यूरो
कोरोना के इस मुश्किल दौर में देश और दुनिया के कोने कोने से बुरी, डरावनी और दर्दनाक तस्वीरें आ रही हैं। लेकिन इस संकट के बीच हिमाचल प्रदेश के सोलन से जो खबर आई है वो अच्छी है। सुकून देने वाली है। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों के अलावा अब मैदानी क्षेत्र भी सेब की खुशबू से महकेंगे। वैज्ञानिको ने इसका सफल प्रयोग कर लिया है। अभी तक प्रदेश के अधिक व मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही सेब को उगाया जा सकता था। इस सफल प्रयोग के बाद वैज्ञानिको का दावा है कि अब हिमाचल के किसी भी इलाके में सेब को उगाया जा सकता है। सोलन चंबाघाट के किसान बुधराम ठाकुर, धारो के धार के किसान कर्ण सिंह ठाकुर सहित कई किसानो ने ट्रायल के तौर पर सेब के पौधे लगाये गये थे जिसमें अब सेब उग आये है। प्रयोग सफल रहने के बाद कृषि विज्ञान केंद्र सोलन के सभी वैज्ञानिक काफी खुश नजर आ रहे है फार्म के मैनेजर डीडी शर्मा ने बताया कि जनवरी-2017 में बागवानो को सेब के पौधे लगाने के लिए दिये गये थे केवल तीन साल बाद ही इसमे सेब उग गये है। वैज्ञानिको के सफल प्रयोग से किसानो व बागवानो में भी खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।
सेब की विभिन्न किस्में तैयार होने से किसानों की आर्थिक स्थिति में आएगा काफी बदलाव
प्रिसिंपल साइंटिस्ट डीपी शर्मा ने बताया कि प्रदेश के हर क्षेत्र के लिए सेब की विभिन्न किस्में तैयार होने से यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी बदलाव आएगा। नौणी विश्वविद्यालय सोलन द्वारा सेब को उगाने के लिए प्रदेश को जलवायु के हिसाब से चार हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें 1200 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्र को जोन एक रखा गया हैं, यहां अभी तक केवल आम व नींबू प्रजाति के पौधे ही लगाए जा सकते थे। इसमें सोलन-सिरमौर का निचला क्षेत्र और बिलासपुर, हमीरपुर व कांगड़ा का क्षेत्र शामिल है। वैज्ञानिको के मुताबिक यहां सेब की अन्ना, डारसेट गोल्डन, माइकल व स्लोमित प्रजातियां लगाई जा सकती हैं। शिमला, मंडी, कुल्लू, सोलन, सिरमौर व चंबा के 1200 से 1800 मीटर की ऊंचाई वाले मध्य पर्वतीय क्षेत्र को जोन दो में शामिल किया गया है। इस जोन में गेल गाला, स्कालेट गाला, स्कालेट स्पर, रॉयल गाला, गाला सिलेक्शन, अरली रेड वन, रेड चीफ, सांसा, सन फूजी, टाइडमैन अरली वरसेस्टर, सुपर चीफ प्रजातियां लगाई जा सकती हैं। इसी प्रकार जोन तीन में 1800-2200 मीटर तक के ऊंचाई वाले क्षेत्र हैं, जिनमें शिमला, मंडी-कुल्लू का ऊपरी क्षेत्र व किन्नौर हैं। इन क्षेत्रों में रेड चीफ, आरिगन स्पर-2, ब्राइट एन अर्ली, सुपर चीफ, वाश डिलिशियस, गेल गाला, स्काई लाइन सुप्रीम, हार्डीमैन, गोल्डन स्पर व रेड गोल्ड की प्रजातिय को लगाया जा सकता हैं। इसके अलावा जोन चार में जिला किन्नौर, लाहौल-स्पीति और चंबा का पांगी-भरमौर क्षेत्र शामिल है। यहां पहले सूखे मेवे की खेती की जाती थी लेकिन अब इस क्षेत्रा को सेब उत्पादन के अनुकूल पाया गया है। यहां पर रायल डिलिशियस, टॉप रेड, रेड फूजी, ग्रेनी स्मिथ, रेड डिलिशियस व गोल्डन डिलिशियस किस्में उगाई जा सकती हैं।