यर्थाथ, सम्यक, खामोशी का शोर की अभ्युत, छोटी उम्र में हासिल कर लिया बड़ा मुकाम

पूनम शर्मा
“मुश्किलो को आसान बनाता है, मेरी मॉ का प्यार जो मुझे इंसान बनाता है”—-आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे है जो किसी पहचान की मोहताज नहीं है छोटी-सी उम्र में इस शख्सियत ने काफी बढ़ा नाम कमा लिया है और ये साहित्य जगत के लिये एक प्रेरणास्रोत बनकर उभरी है—–जी हां हम बात कर रहे है तन्वी शर्मा की, जो हिमाचल प्रदेश के सोलन के एक छोटे-से गांव कंडाघाट की रहने वाली है तन्वी शर्मा ने छोटी-सी उम्र में ही साहित्य जगत में एक अच्छा मुकाम हासिल कर लिया है तन्वी महज 24 साल की है इनकी “यर्थाथ, सम्यक, खामोशी का शोर” में बहुत-सी कविताएं प्रकाशित हुई है जो काफी चर्चा में रही है।
बचपन से ही साहित्य जगत से है बेहद प्रेम
तन्वी ने बताया कि उन्हें बचपन से साहित्य जगत से बेहद प्रेम है 9 साल उम्र से ही शिमला, चण्डीगढ़, पटियाला, जालंधर में हुये साहित्य कार्यक्रम में भाग लेना शुरू कर दिया था इस दौरान उनकी लिखी कविताओं की खूब प्रशंसा हुई जिससे उन्हें आगे बढ़ने का हौंसला मिला। तन्वी के पिता अनिल शर्मा समाजसेवी है और उनकी माता रजनी शर्मा कंडाघाट की पूर्व प्रधान रही है इनकी कुल तीन बेटिया है जिसमें तन्वी दूसरे नंबर पर है। तन्वी की प्रतिभा को देखते हुये 28 जून को क्षितिज पोईट्री सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित ऑनलाइन लाइव कार्यक्रम में, फेसबुक पर जावेद अख्तर के साहित्य कला योगदान बारे पारिचित करवाने का मौका भी मिला यहां कार्यक्रम लोगों द्वारा खूब सहाराया गया तन्वी को साहित्य क्षेञ में सभी अभ्युत के नाम से जानते है।

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