हिमाचल में भी कृषि बिलों का कड़ा विरोध, प्रदेश कृषि उपज मंडी समिति सोलन के कर्मचारियों ने की जमकर की नारेबाजी

लोकमत उदय ब्यूरो
हिमाचल प्रदेश में भी कृषि बिलों का कड़ा विरोध शुरू हो गया है. शनिवार को प्रदेश कृषि उपज एवं मंडी समिति सोलन के कर्मचारियों ने राज्यसभा में पास हुए दो कृषि बिलों का कड़ा विरोध करते हुये जमकर नारेबाजी की. मंडी समिति के समस्त कर्मचारियों ने इस संदर्भ में कृषि उपज एवं मंडी समिति सोलन के गेट पर धरना-प्रदर्शन किया. कर्मचारियों का कहना था कि कृषि बिलों के राज्यसभा में पास होने से मंडी समितियों का अस्तित्व खतरें में पड़ गया है. इससे यहां कार्य कर रहे कर्मचारियों सहित, आढ़तियों व पल्लेदारों पर भी इसका व्यापक असर देखने को मिलेगा. इनका कहना था कि सब्जी मंडियों में मंडी समितियों का गठन इसलिए किया गया था कि किसान-बागबान और आढ़तियों के बीच पारदर्शिता बनी रही।
निजी कंपनियां की मनमानी बढ़ेगी, सीधे तौर पर किसान-बागबानों पर पड़ेगा असर
किसान-बागबानों से लेकर आढ़ती तक हर उत्पाद के दाम का पता होता है. लेकिन कृषि बिलों के आने से निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा और इससे निजी कंपनियां मनमानी पर उतर आएगी. जिसका सीधे तौर पर किसान-बागबानों पर असर पड़ेगा. इनका कहना है कि अभी आढ़तियों के माध्यम से मंडी समिति को फीस दी जाती है.बिल आने के बाद मंडियों से बाहर कार्य करने वाले लोगों से कोई फीस की वसूली नहीं होगी जिसका सीधे तौर पर असर मंडियों में होने वाली सरकार की आय पर भी होगा। कर्मचारियों ने केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि मंडियों के अस्तित्व को बचाने के लिए कृषि बिलों में संशोधन किया जाए वर्तमान में मंडी समिति के कर्मचारियों के अलावा प्रदेश में सैकड़ों आढ़ती और पल्लेदार काम करते हैं. ऐसे में इन सबका रोजगार इस बिल के आने से समाप्त हो सकता है।

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